25-05-73  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

भविष्य प्लान

विश्व-परिवर्तक, विश्व-कल्याणकारी, वरदानी व महादानी, नज़र से निहाल करने वाले बाबा बोले:-

अपने को विश्व-परिवर्तक व विश्व-कल्याणकारी समझते हो? विश्व की हर आत्मा को सन्देश देने वाले समझते हुए विश्व में कहाँ तक सन्देश दे पाये हैं, इसका हिसाब-किताब निकालते रहते हो? जहाँ-जहाँ सन्देश देने का कर्त्तव्य अब होने वाला है, इसके लिये नये-नये प्लान्स् (Plans) बना रहे हो? जो जिस्का कर्त्तव्य वा जिम्मेवारी होती है, उस कर्त्तव्य के प्रति उसके सदैव प्लान्स चलते रहते हैं।

कहीं भी सन्देश देने के लिए वा बाप के परिचय का आवाज़ फैलाने के लिए अभी-तक जो भी भिन्न-भिन्न प्लान्स प्रैक्टिकल में लाते हो उन में मुख्य प्रयत्न यही करते हो कि जिस धरती पर वा जिस स्थान पर सन्देश देना है वहाँ पहले तो स्टेज (Stage) तैयार करते हो, स्पीच (Speech) तैयार करते हो और पब्लिसिटी (Publicity) के भिन्न-भिन्न साधन अपनाते हो जिस द्वारा उसी स्थान की आत्माओं को सन्देश देने का कर्त्तव्य करते रहते हो। लेकिन इन साधनों द्वारा अभी तक विश्व की अंश-मात्र आत्माओं को ही सन्देश दे पाये हो। अभी थोड़े समय के अन्दर, जब सारी विश्व की आत्माओं को सन्देश देने, ज्ञान और योग का परिचय दे बाप की पहचान कराने का कर्त्तव्य करना ही है, साथ-साथ इस प्रकृति को भी पावन बनाना है, तब ही विश्व-परिवर्तन होगा। इसके लिये थोड़े समय में बहुत बड़ा कार्य करने के लिए भविष्य कौन-सा प्लान बनाया है? वह रूप-रेखा बुद्धि में आती है? अभी जो कर रहे हो, वही रूप रेखा है या वह कुछ भिन्न है? वह क्या है, वह इन एडवॉन्स (In Advance) देखते हो या वह चलते-चलते देखेंगे? अगर स्पष्ट है तो दो शब्दों में सुनाओ।

जब समय भी शॉर्ट (Short) है तो प्लान भी शार्ट चाहिए। शार्ट हो लेकिन पॉवरफुल  हो। वह दो शब्द कौन-से हैं? भविष्य प्लान प्रैक्टिकल रूप में दो शब्दों के आधार पर ही होना है। वह दो शब्द पहले भी सुनाये थे। एक तो ‘साक्षात् बाप-मूर्त्त’ और दूसरा ‘साक्षी और साक्षात्कार-मूर्त्त’। जब तक यह दोनों मूर्त्त न बनी हैं, तब तक सारे विश्व का परिवर्तन थोड़े समय में कर नहीं पायेंगे। इस प्लान को प्रैक्टिकल में लाने के लिये जैसे अब भी स्टेज और स्पीच तैयार करते हो, वैसे ही आप को अपनी स्थिति की स्टेज तैयार करनी पड़े।

अपने फीचर्स द्वारा फ्यूचर का साक्षात्कार करने के लिए, जैसे भिन्न-भिन्न पॉइन्ट्स सोचते हुए स्टेज तैयार करते हो वैसे ही इस सूरत के बीच जो भी मुख्य कर्मेन्द्रियाँ हैं, उन कर्मेन्द्रियों द्वारा बाप के चरित्र, बाप के कर्त्तव्य का साक्षात्कार हो, बाप के गुणों का साक्षात्कार हो। यह भिन्न-भिन्न पॉइन्ट्स तैयार करनी पड़े। नयनों द्वारा नजर से निहाल कर सको। अर्थात् नयनों की दृष्टि द्वारा उन आत्माओं की दृष्टि, वृत्ति, स्मृति और कृति चेन्ज कर दो। मस्तिष्क द्वारा अपने व सभी के स्वरूपों का स्पष्ट साक्षात्कार कराओ। होंठों द्वारा रूहानी मुस्कराहट से अविनाशी खुशी का अनुभव कराओ। सारे चेहरे द्वारा वर्तमान श्रेष्ठ पोजीशन और भविष्य पोजीशन (Position) का साक्षात्कार कराओ। अपने श्रेष्ठ संकल्प द्वारा अन्य आत्माओं के व्यर्थ संकल्पों व विकल्पों की बहती हुई बाढ से और अपनी शक्ति से अल्प समय में किनारा कर दिखाओ। व्यर्थ संकल्पों को शुद्ध संकल्पों में परिवर्तित कर डालो। अपने एक बोल द्वारा अनेक समय की तड़पती हुई आत्माओं को अपने निशाने का, अपनी मंजिल के ठिकाने का अनुभव कराओ। वह एक बोल कौन-सा? ‘शिव बाबा।’ शिव बाबा कहने से ही ठिकाना व निशाना मिल जाय। अपने हर कर्म अर्थात् चरित्र द्वारा, चरित्र सिर्फ बाप के नहीं हैं, आप हर श्रेष्ठ आत्मा के श्रेष्ठ कर्म भी चरित्र हैं। साधारण कर्म को चरित्र नहीं कहेंगे। तो हर श्रेष्ठ कर्म रूपी चरित्र द्वारा बाप का चित्र दिखाओ। जब ऐसी रूहानी प्रैक्टिकल स्पीच करेंगे तब थोड़े समय में विश्व का परिवर्तन करेंगे। इसके लिए स्टेज भी चाहिए।

स्टेज की तैयारी में क्या-क्या मुख्य साधन अपनाते हो। वह तो जानते हो न? वह आप लोगों की विशेष निशानी है। स्टेज को सफेद करते हो, यही आप लोगों की मुख्य निशानी अथवा सिम्बल (Symbol) है। जैसे ड्रेस प्रसिद्ध है ना। तो जैसी आत्मा की स्टेज, वैसी बाहर की स्टेज को भी रूप देते हो। तो यह बातें जो स्थूल स्टेज पर रखने का प्रयत्न करते हो। उनमें से अगर एक चीज भी स्मृति में न रहती है वा सही रूप में नहीं होती है तो स्टेज की झलक अच्छी नहीं दिखाई देती। इसी प्रमाण जब अपनी स्थिति की स्टेज द्वारा प्रैक्टिकल स्पीच करनी है तो इसके लिये भी इन सभी बातों की तैयारी चाहिए, लाइट चाहिए अर्थात् डबल लाइट स्वरूप की स्टेज चाहिए। यह तो जानते हो न? दोनों ही लाइट। अगर स्टेज पर कोई हल्का न हो, उठने बैठने में भारी हो तो स्पीच सुनने के बजाय लोग उसको ही देखने लग जायेंगे। तो यहाँ पर डबल लाइट की स्थिति चाहिए। और माइक ऐसा पॉवरफुल हो, जो दूर तक आवाज़ स्पष्ट रूप में पहुंच जाये। तो माइक में भी माइट हो। एक संकल्प करो, एक नजर डालने से ही वह नजर और वह संकल्प लाइट हाउस का कार्य करे। एक स्थान पर होते हुए भी अनेक आत्माओं पर आप के श्रेष्ठ संकल्प और दिव्य नजर का प्रभाव पड़े। ऐसा पॉवरफुल माइक बनाना पड़े। तो माइक कौनसा हुआ -’संकल्प और नजर’, ‘दिव्य और रूहानी दृष्टि।’ ऐसे ही व्हाइटनेस (Whiteness) अर्थात् स्वच्छ बुद्धि चाहिए उनमें जरा भी कोई दाग न हो। अगर स्टेज पर कोई दाग होगा, व्हाइटनेस नहीं होगी तो सभी का अटेन्शन न चाहते भी उस तरफ जायेगा। और बात में सलोगन्स (Slogans) का श्रृंगार चाहिये। इस स्थिति की स्टेज पर कौन-से सलोगन का श्रृंगार चाहिये?-स्थिति की स्टेज और प्रैक्टिकल मन, वाणी, कर्म की स्पीच। ऐसी स्टेज के लिये सलोगन कौन-से चाहिये?

एक ‘मैं आत्मा विश्व-कल्याण के श्रेष्ठ कर्त्तव्य के प्रति सर्वशक्तिवान् बाप द्वारा निमित्त बनी हुई हूँ’ - यह सलोगन स्मृति में रहे। इस स्थिति में अगर यह सलोगन याद न रहेगा तो स्टेज सुन्दर नहीं लगेगी। विशेष धारणाओं के ही सलोगन्स हैं। दूसरा सलोगन, मैं आत्मा महादानी और वरदानी हूँ। जिन भी आत्माओं को दान लेने का वा देने का साहस नहीं हैं उन को भी वरदाता बाप द्वारा मिले हुए वरदानों द्वारा अपनी स्थिति के सहयोग द्वारा वरदान देना है। तो सलोगन क्या हुआ? ‘मैं महादानी और वरदानी हूँ’ - यह है स्पष्टीकरण। तीसरी बात मुझ आत्मा को अपने चरित्र, बोल व संकल्प द्वारा अपने मूर्त्त में सभी आत्माओं को बापदादा की सूरत और सीरत का साक्षात्कार कराना है। इस प्रकार जो स्टेज को सुन्दर बनाने का सलोगन है वह भी स्मृति में रखना है। ऐसी अपनी स्टेज और स्पीच को तैयार करो। स्टेज पर कुर्सी पर बैठो अर्थात् अपनी स्टेट्स की कुर्सी पर बैठो। तो स्टेज, स्पीच, और स्टेट्स ये तीनों ही आवश्यक हैं, फिर थोड़े समय में विश्व को परिवर्तित कर लेंगे। यह करना तो आता है न? लेकिन यह भी ध्यान रखना कि स्टेज ऐसी मज़बूत हो, एक-रस, अचल और अडोल हो जो कोई भी तूफान और कोई भी वातावरण उसको हिला न सके। ऐसी अपनी तैयारी करो, क्या ऐसी प्रैक्टिस है? क्या ऐसे एवररेडी हो और एवर हैप्पी (Ever-Happy) हो? जो एक सेकेण्ड में जैसी स्थिति, जैसा स्थान और जैसी आत्माओं की धरती उसी प्रमाण थोड़े समय में अपनी स्टेज तैयार कर प्रैक्टिकल स्पीच कर सको। समझा? यह है भविष्य प्लान। अच्छा

ऐसे सदा अपनी स्टेज द्वारा, स्टेट्स द्वारा सर्व आत्माओं को अपने सम्पूर्ण स्टेज और अपने वास्तविक स्टेट्स का साक्षात्कार कराने वाले श्रेष्ठ आत्माओं को, विश्व-कल्याणकारी आत्माओं को बापदादा का याद-प्यार और नमस्ते।

महावाक्यों का सार

1. जैसे सेवा करने के लिये स्टेज, स्पीच तैयार करते हो तो विश्व सेवा के लिये अपनी स्थिति की स्टेज तैयार करनी है। सूरत के बीच जो कर्मेन्द्रियाँ हैं, उन द्वारा बाप के चरित्र और बाप के कर्त्तव्य का साक्षात्कार कराना है। नयनों द्वारा नज़र से निहाल कर सको, मस्तिष्क द्वारा सभी के स्वरूप का स्पष्ट साक्षात्कार कराओ, होठों पर रूहानी मुस्कराहट से अविनाशी खुशी का अनुभव कराओ।

2. हर श्रेष्ठ आत्मा के श्रेष्ठ कर्म चरित्र हैं। साधारण कर्म को चरित्र नहीं कहेंगे। तो हर श्रेष्ठ कर्म रूपी चरित्र द्वारा बाप का चित्र दिखाओ। ऐसी रूहानी प्रैक्टिकल स्पीच करने से ही विश्व परिवर्तन कर सकेंगे।